तीन वर्ष तक नौकरी नही करने पर उसकी तन्खवाह मांगने का आवेदिका को कोई हक नही बुजुर्ग माता-पिता का रख रखाव नही करने पर घरेलू हिंसा का प्रकरण दर्ज किया जाएगा
1 min readतीन वर्ष तक नौकरी नही करने पर उसकी तन्खवाह मांगने का आवेदिका को कोई हक नही
बुजुर्ग माता-पिता का रख रखाव नही करने पर घरेलू हिंसा का प्रकरण दर्ज किया जाएगा
अनुकंपा नियुक्ति लेने के भय से उसके बेटे ने तनख्वाह से एक तिहाई हिस्सा अपनी मां को देना स्वीकार किया, इस प्रकरण में संरक्षण अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई
आपसी पारिवारिक न्यायिक विवाद के बाद आयोग का दुरुपयोग न करे
आयोग की समझाइश पर शिक्षक आवेदिका को साथ रखना शुरु कर दिया, अगर भविष्य में आनाकानी करेगा तो अपनी आधी तन्खवाह आवेदिका को देगा
lok seva news 24 Bureau Chief – Digvendra Gupta
कवर्धा, 30 अगस्त 2024। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज जिला कवर्धा विश्राम गृह सभाकक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 274 वी. सुनवाई हुई। कबीरधाम की जिले की कुल चौथी सुनवाई हुई।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके पति ग्राम सहायक के पद पर शासकीय सेवा में कार्यरत थे, उनकी मृत्यु के बाद अनावेदक को अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदिका ने सहमति दी थी कि, वह अपनी मॉ (आवेदिका) का भरण पोषण करेगा और जमीन का बंटवारा नही लेगा। इसके बाद अनावेदक पिछले 15 वर्षो से मुक बधीर स्कूल सिंघनपुरी में नौकरी कर रहा है और उसे लगभग 32,000 रुपए वेतन मिलता है। नौकरी मिलने के बाद अनावेदक आवेदिका का भरण पोषण करना बंद कर दिया और खेत और मकान में कब्जा कर लिया है। आवेदिका का यह कहना है कि, अनावेदक पढ़ा लिखा नही है और उसकी अंकसूची फर्जी है, आवेदिका ने आयोग से अपने बेटे की अनुकंपा नियुक्ति निरस्त करवाने कि मांग की, आवेदिका की उम्र 65 वर्ष है जो उसका पालन पोषण नही करेगा तो उसके खिलाफ घरेलू हिंसा का प्रकरण प्रोटेक्षन ऑफिसर के मदद से करा सकते है। अनावेदक का नौकरी नही छिनी जाये और आवेदिका के बैंक एकाउंट में एक तिहाई अपनी तनख्वाह देने के लिये वह तैयार है। सहमति पत्र स्टांप पेपर पर बनवाने की जिम्मेदारी प्रोटेक्षन ऑफिसर को दिया गया आवेदिका को अनावेदक की तनख्वाह से एक तिहाई हिस्सा सीधे कोषालय से दिलवाने के लिये सहमति पत्र स्टॉप पर लिखा पढी व संपूर्ण प्रक्रिया का पालन करवायेगें। यदि अनावेदक बाद में असहमति जताता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आयोग ने निर्देश दिया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदकगणों ने अनावेदक प्रधान पाठक के खिलाफ नवम्बर 2023 में शिकायत किया था जिसकी विभाग में मौखिक शिकायत किया था उसके बाद अनावेदक का व्यवहार परिवर्तन हो गया है, अवेदकगणो को कोई शिकायत नही है और अनावेदक ने दोबारा बुरा व्यवहार नही करने का आश्वासन दिया है। अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका को वर्ष 2021 में अनावेदक संस्थान ने 03 माह का नोटिस देकर कार्य से निकाला था, जिसके लिये 03 माह का वेतन 75 हजार रुपए का चेक दिया था, जिसे लेने ने आवेदिका ने इंकार कर दिया। आवेदिका उस दौरान बीमार थी और अनावेदक संस्थान की स्कूल की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी इसलिये उनके द्वारा अन्य शिक़ायत की पदस्थापना की गई। आवेदिका ने टरमिनेशन के 75 हजार रुपए के चेक को लेने से इंकार कर दिया और उसके पास कोई नौकरी नही थी और उसके बेटी अनावेदक संस्था में पढाई कर रही थी जिसकी 03 साल की पढाई की फीस 2 लाख रूपये व ट्रांसपोर्टेशन फीस 30 हजार रुपए कुल 2 लाख 30 हजार रूपये अनावेदक संस्था के द्वारा माफ किया गया। इस तीन साल के दौरा अनावेदक संस्थान के परिसर में दिये गये मकान में आवेदिका लगातार रह रही है, जिसका कोई किराया अनावेदक संस्थान को नही दिया है और खाली करने के नोटिस का भी कोई जवाब नही दिया गया। अपाईमेंट के समय किये गये मकान के रेंट एग्रीमेंट के हिसाब से प्रतिमाह 15 हजार रूपये के मान से 03 साल का लगभग 4 लाख 50 हजार रूपये अनावेदक संस्थान को नही दिया। अनावेदिका ने आयोग के समक्ष कहा की अनावेदक संस्थान के द्वारा निकाले जाने के कारण आवेदिका 03 साल से कोई काम नही कर पा रही है, अतः प्रतिमाह 25 हजार रूपये के मान से उसे लगभग 12 लाख से अधिक रूपये अनावेदक संस्थान से लेना है। आवेदिका को समझाईश दिये जाने पर वह 75000/-रूपये का चेक लेने से इंकार कर रही है और न्यायालय के माध्यम से प्रकरण का निराकरण कराना चाहती है। आयोग ने भी उसने लगभग 03 वर्ष के बाद प्रकरण प्रस्तुत किया है, अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका सिटी कोतवाली कवर्धा 376 का एक रिपोर्ट 2019 में दर्ज कराया था, जिस प्रकरण में अभियुक्त के खिलाफ न्यायालय में प्रकरण चल रहा था, अभियुक्त बाइज्जत बरी हो गया। जिसकी अपील उच्च न्यायालय में आवेदिका ने किया है। अभियुक्त 2021 में न्यायालय से छूट गया 2023 में आवेदिका ने सभी अनावेदक पुलिस कर्मियों और शासकीय डाक्टर के खिलाफ आयोग में षिकायत किया है। आवेदिका ने पहली बार आयोग मे यह शिकायत किया जिससे ऐसा लगता है कि अभियुक्त के छुटने के बाद सभी शासकीय सेवकों की शिकायत कर अपने लिए रास्ता बनाना चाह रही है। 2019 के 05 साल बाद आयोग में प्रकरण पहली बार किया गया जो कि प्रावधान विरुद्ध है, अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में उभय पक्षों में विभिन्न न्यायालयों में मामले दर्ज है और निराकृत हो चुके है। संपत्ति विवाद का प्रकरण है अब यदि उभय पक्षों मे से किसी के द्वारा अपराधिक गतिविधियां किया जाता है तो उसके लिये दोनों पक्ष पुलिस में प्रकरण दर्ज करा सकते है इस निर्देष के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में अनावेदक लेंजाखार कन्या माध्यमिक शाला में शिक्षक के पद पर कार्यरत है, 65 हजार रुपए मासिक वेतन पाता है, आयोग के पूर्व के कार्यवाही के अनुसार पत्नी और बच्चों को 15 हजार रु. देने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद पति पत्नि के बीच में आपसी सुलहनामा हो गया, आवेदिका अपना प्रकरण वापस करवाना चाहती थी, आयोग ने दोनो पक्षों को समझाईश दिया कि भविष्य में आवेदिका को अनावेदक के कारण परेशानी हुई तो अनावेदक अपनी आधा तनख्वाह आवेदिका को देगा, इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका मातृत्व अवकाश के कारण अनुपस्थित होने की जानकारी संरक्षण अधिकारी द्वारा दिया गया। अनावेदकगण के द्वारा दस्तावेज प्रस्तुत किया गया कि आवेदक ने मान. उच्च न्यायालय बिलासपुर में मई 2023 में इन्ही अनावेदकगणों को पक्षकार बनाते हुए प्रकरण प्रस्तुत किया है, जिसके आधार पर आयोग में प्रकरण नस्तीबद्ध किया जा सकता है। चूकि आवेदक आज अनुपस्थित है अतः 02 माह बाद प्रकरण को रायपुर में अंतिम बार रखा जायेगा। अथवा आवेदिका को पत्र लिखकर पूछ लिया जाये कि उसने उच्च न्यायालय में प्रकरण दर्ज किया है, उत्तर मिल जाने पर प्रकरण स्वमेय नस्तीबद्ध हो जाएगा।