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वनांचल की मिट्टी में विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति समुदाय की जिंदगी में हुआ सुशासन का सवेरा…

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वनांचल की मिट्टी में विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति समुदाय की जिंदगी में हुआ सुशासन का सवेरा…

महतारी वंदन और प्रधानमंत्री जनमन योजना से डोंगरहीन बाई बैगा के परिवार में आई खुशहाली

Lok seva news 24 Bureau Chief – Digvendra Gupta

कवर्धा 12 दिसंबर 2024। वनांचल की मिट्टी में विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति समुदाय की जिंदगी में अब सुशासन का सवेरा होने लगा है। कबीरधाम जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्र में निवास करने वाले विशेष पिछड़ी बैगा जनजाति ग्राम बहपानी के भलिंदादर टोला की डोंगरहीन बाई बैगा की जिंदगी में बदलाव की रोशनी आई है। मोदी की गारंटी और मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के सुशासन में बैगा जनजाति समुदाय की जिंदगी में बड़ा बदलाव आ रही हैं। शासन की अनेक योजनाओं से अब मुख्यधारा से जुड़ने लगे है। यह प्रेरक कहानी डोंगरहीन बाई बैगा की है, जो अपने पति चारू बैगा और दो बच्चों के साथ सादगी भरा, परंतु आत्मनिर्भर जीवन जी रही हैं।
डोंगरहीन बाई का परिवार कभी आर्थिक तंगी और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा था। लेकिन अब, छत्तीसगढ़ सरकार की महतारी वंदन योजना और जनमन आवास योजना जैसे सुशासन के प्रयासों ने इनके जीवन में खुशियों की नई रोशनी बिखेरी है। डोंगरहीन बाई बताती हैं कि महतारी वंदन योजना से मिलने वाली प्रति माह 1 हजार की राशि उनके परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने में बहुत सहायक साबित हो रही है। यह राशि उनके घर की छोटी-छोटी जरूरतों, जैसे बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और पोषण संबंधी खर्चों को पूरा करने में मदद करती है।
डोंगरहीन बाई ने बताया कि प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना से जीवन में नई उम्मीद मिली है। परिवार के पास अब उनका अपना घर होगा। जनमन आवास योजना के तहत तीन किस्तें मिल चुकी हैं, और जल्द ही उनका नया मकान बनकर तैयार हो जाएगा। इस योजना ने उनके पक्के मकान की चिंता को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। वे बताती है कि वनोपज और मनरेगा से आय में वृद्धि हुई है। शासन द्वारा समर्थन मूल्य में वनोपज की खरीदी से संबल मिला है। डोंगरहीन और उनके पति चारू बैगा वनोपज, जैसे हर्रा, बहेरा, तेंदूपत्ता, इमली, महुआ और अन्य वनोपजों को समर्थन मूल्य पर बेचकर अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं। साथ ही मनरेगा के तहत रोजगार मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति और भी मजबूत हुई है।
डोंगरहीन और चारू बैगा अपने खेतों में कोदो और कुटकी की खेती करते हैं। इस खेती से न केवल उनकी आय में वृद्धि हुई है, बल्कि परिवार के लिए पौष्टिक आहार भी सुनिश्चित हुआ है। राशन कार्ड के माध्यम से उनके परिवार को 35 किलो राशन नियमित रूप से मिलता है, जो उनके भोजन की आवश्यकता को पूरी करता है। इन योजनाओं से उनका परिवार खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में भी आगे बढ़ा है।
डोंगरहीन बाई बताती हैं कि पहले हमने सोचा भी नहीं था कि हमारे जैसे वनांचल के दूरस्थ क्षेत्रों में सरकार की योजनाएं पहुंचेंगी। लेकिन आज यह हमारे लिए किसी सपने के पूरे होने जैसा है। मैं मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी को धन्यवाद देती हूँ , जिसने हमें स्वास्थ्य, बिजली,सड़क जैसे बुनियादी सुविधा उपलब्ध करा कर हमारी जिंदगी में खुशियां लाईं है। छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर डोंगरहीन बाई बैगा का परिवार आज आत्मनिर्भर, खुशहाल और सुरक्षित जीवन जी रहा है।

Lok Seva News 24

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