चरित्र जिनका महान है पूजा करता भगवान है। ग्राम नेऊरगांव कला मे आयोजित श्रीमद भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का समापन हुआ।
1 min readग्राम नेऊरगांव कला में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह का समापन शुक्रवार को गीता सार और तुलसी वर्षा के साथ किया गया। इस दौरान गांव का माहौल पूरा भक्तिमय नजर आया और सभी भक्तिरस में डूबे रहे।
कथा व्यास पं. श्री भोजराज शास्त्री जी ने भागवत भगवान के महत्व को बताते हुये कहा कि भागवत का सार तत्व है भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और तपस्या, जो कभी भी खत्म नहीं होता है। श्रीकृष्ण से जितना प्रेम करोगे उतना ही प्रेम का रंग चढ़ता जायेगा।
वैराग्य अर्थात ऋषि मुनि तपस्या करके जीवन गढऩे वाला व्यक्ति। उन्होंने सुदामा चरित व परिक्षित मोक्ष की कथा सुनाई। संगीतमयी कथा में प्रतिदिन विभिन्न प्रसंगों पर कथा कही गई।
कथा व्यास पं श्री भोजराज शास्त्री जी ने बताया कि श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करे, घर में गाय व तुलसी का महत्व समझे और घर में श्रीमद् भागवत ग्रंथ रखे, उसे दैविक, दैहिक और भौतिक ताप से मुक्ति मिल जाती है. भगवान श्रीकृष्ण की सबसे मधुर लीला महारास लीला का वर्णन किया. कथा व्यास पं श्री भोजराज शास्त्री ने सात दिनों तक भागवत के विभिन्न प्रसंगों को संगीतमय प्रकृति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. कथा स्थल में श्री राधे-राधे की गूंज से वृंदावन धाम का अनुभव होता रहा. उन्होंने कहा कि शुकदेव जी ने परीक्षित को बताया कि भगवान की कथा को श्रद्धा और विश्वास के साथ इस प्रकार से सुनें तो सात दिनों के अंदर श्रोता भगवान को स्वयं प्राप्त कर सकते हैं. कथा सुनकर श्रोतागण भक्तिरस में झूमने लगे. श्रीमद् भागवत कथा समापन के मौके पर हवन का आयोजन किया गया. जिसमें श्रद्धालुओं ने आहूति डालकर मनौतियां मांगीं।